सुस्ती आना वाक्य
उच्चारण: [ suseti aanaa ]
"सुस्ती आना" अंग्रेज़ी मेंउदाहरण वाक्य
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- सुस्ती आना भी बड़ा कष्टदायक कुप्रभाव है।
- *पेट दर्द के कारण सुस्ती आना, चेहरा लाल होना आदि।
- स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाना, सुस्ती आना, कार्य करने का मन न करना आदि।
- सूर्य नमस्कार करने से चमड़ी के रोग, कब्ज होना, ज्यादा नींद आना और सुस्ती आना जैसे रोगों में आराम आता है।
- ऐसे में थोड़ी सुस्ती आना स्वाभाविक है और ऐसे में यदि व्यक्ति थोड़ी झपकी ले लेता है तो स्वास्थ्य की दृष्टि से इसमें को गड़बड़ी नहीं है।
- तीन दिन बाद तम्बाकू की तलब उठनी बन्द हो गई किन्तु शारीरिक नियमों के अनुसार सरदर्द, कब्ज, सुस्ती आना, थकान आना, नींद उड़ जाना इत्यादि हुए लेकिन उन्होंने राधे-राधे के जाप कर उनका मुकाबला किया एवं साथ ही चिकित्सकीय सेवा ली।
- इस रोग के होने पर रोगी में इस प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं-शुरू-शुरू में ठंड लगना, सिर में दर्द होना, शरीर में कंपन होना, बेहोशीपन महसूस होना तथा पूरे शरीर में अकड़न तथा ऐंठन होना, सुस्ती आना, हल्का बुखार रहना आदि।
- आयोडीन की कमी से रोगी को घेघा रोग, सुस्ती आना, किसी काम को करने में मन न लगना, वजन का बढ़ना, बालों का झड़ना, पेट में कब्ज बनना, प्रसव शक्ति कम होना, ठण्ड बर्दाश्त न होना, मासिकधर्म का अनियमित होना जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं।
- हार्मोन्स के असंतुलन के लक्षण-उन्होनें बताया कि हार्मोन्स के असंतुलन के कारण शरीर में सुस्ती आना, थकान महसूस होना, अकारण वजन में परिवर्तन, अवसाद सा लगना, पाचन संबंधी रोग, चमड़ी में सूखापन, मासिक चक्रकी समस्याएं आदि ऐसे लक्षण है जो अधिकांशत: महिलाओं में ही पाये जाते है।
- मलेरिया रोग से पीड़ित रोगी में इस प्रकार के लक्षण दिखाई दे रहे हों-ज्वर होने के साथ ही कमजोरी महसूस होना और सुस्ती आना, स्नायु में दर्द, शरीर बर्फ के जैसा ठंडा होना तथा सांस फूलना आदि हो तो उपचार करने के लिए इस औषधि की 2-3 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
- इस औषधि का उपयोग करने से पहले यह ध्यान रखना चाहिए कि रोगी में इस प्रकार के लक्षण हो जैसे-शरीर की गर्मी बढ़ना, कलेजा धड़कना, पीब मिला हुआ कफ निकलना, पाकाशय में गड़बड़ी होना, मूत्रग्रंथि में जलन होना, मलद्वार से बदबूदार हवा निकलना, मल से सम्बन्धित परेशानी होना, सुस्ती आना और खून की खराबी आदि।
- आंव और खून तथा थोड़ा-थोड़ा पित्त-मिले दस्त होना या हरे पानी की तरह दस्तों के साथ ही पेट में दर्द होना, बहुत ज्यादा उल्टी आना, शरीर में बहुत अधिक सुस्ती आना आदि प्रकार के लक्षण हैजे से पीड़ित रोगी में हों तो उसके इस रोग को ठीक करने के लिए मर्क-डलसिस औषधि की 1 x मात्रा या 3 x मात्रा का प्रयोग करना अधिक लाभदायक होता है।
- टाइफायड रोग से पीड़ित रोगी में यदि इस प्रकार के लक्षण हो जैसे-प्यास अधिक होना, ठंडे पानी पीने पर प्यास कम होना, पूरे शरीर में जलन होना, सुस्ती आना, माथा, छाती और पेट में खालीपन महसूस होना, पानी पीने के कुछ देर बाद उल्टी आना, पेट फूला रहना, मल में साबूदाने की तरह का पदार्थ दिखाई पड़ना, आंतों से खून बहना आदि।
- टाइफायड रोग होने के साथ ही शरीर में अधिक सुस्ती आना, अधिक उदासीपन महसूस होना, शरीर से ठंडा पसीना आना, जबड़े का नीचे की ओर लटक जाना, बिस्तर पर नीचे की ओर सरक जाना, बेहोश होना, जीभ सूखा रहना और सुन्न पड़ जाना, अनजाने में अपने आप ही मल और पेशाब होना, लगातार बिस्तर पर से नीचे की ओर सरक जाना, गति सविराम ज्वर होना आदि लक्षण होने पर रोगी की चिकित्सा करने के लिए म्यूरियेटिक एसिड औषधि की 30 या 200 शक्ति का उपयोग लाभकारी है।
- शरीर में अधिक थकावट होने के साथ ही सुस्ती आना, रोना-धोना और चिल्लाना, ऐसा महसूस होना कि माथे के पीछे के भाग में सीसा भरा है, आखें आधी खुली रहना, आंखों की पुतली फैलना और सिकुड़ना, टकटकी लगाकर एक ओर देखते रहना, रोशनी में आखों की पुतली न सिकुड़ना, मुंह से बदबू आना, पसीना आना तथा दांत लगना आदि लक्षण रोगी में मस्तिष्क की अवारण-झिल्ली में जलन होने के साथ है तो रोग को ठीक करने के लिए ओपियम औषधि की 30 या 200 शक्ति से उपचार करना उचित होता है।
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